तोहफ़ा-ए-शेर-ओ-सुख़न लाए हैं हदिया-ए-तौबा-शिकन लाए हैं आप की बज़्म में ए हम-सुख़नो अपना सरमाया-ए-फ़न लाए हैं शेर कुछ लाए हैं जिद्दत-आमेज़ कुछ ब-अंदाज़-ए-कुहन लाए हैं रंग-ओ-आहंग के गुल-दस्ते में फूल क्या सारा चमन लाए हैं शेर की शक्ल में क़िर्तास पे हम गौहर-ओ-लअ'ल-ए-यमन लाए हैं दिल-फ़िगारी के सनम-ख़ाने में दिल-नवाज़ी का चलन लाए हैं लफ़्ज़ में निकहत-ए-गुल ढाल के हम दश्त-ए-ग़ुर्बत में वतन लाए हैं आज की तीरा-शबी में यारो नूर की एक करन लाए हैं