तू भी राही मैं भी राही दोनों चलने वाले हैं तेरे पाँव के नीचे मख़मल मेरे पाँव में छाले हैं ले डूबेगी हम दोनों को ये बेचैनी बेताबी रोको अपने आप को रोको हम अपने को सँभाले हैं रूप उस का चंदन सा महके बोले तो संगीत लगे उस की क्या पूछो हो लोगो हम जिस के मतवाले हैं मेरा उस का प्यार का नाता टूटा और न टूटेगा और हैं जितने रिश्ते नाते सब मकड़ी के जाले हैं तय करते हैं अपनी मंज़िल बाँहों में बाँहें डाले बादल के परिवार में यूँ तो कुछ गोरे कुछ काले हैं सच्ची बातें कौन कहेगा किस में इतनी जुरअत है सब के पास ज़बाँ है लेकिन सब के लब पर ताले हैं मैं तो 'शमीम' इक पंछी था आज़ाद फ़ज़ा में उड़ भी चुका लोग न जाने किस चक्कर में अब भी घेरा डाले हैं