तू क्यूँ पास से उठ चला बैठे बैठे हुआ तुझ को क्या बेवफ़ा बैठे बैठे वो आते ही आते रहे पर क़लक़ से मिरा काम ही हो गया बैठे बैठे उठाते हो क्यूँ अपनी महफ़िल से मुझ को लिया मैं ने क्या आप का बैठे बैठे करे सई कुछ उठ के उस कू से ऐ दिल ये हासिल हुआ मुद्दआ' बैठे बैठे वो इस लुत्फ़ से गालियाँ दे गए हैं किया करते हैं हम दुआ बैठे बैठे ज़रा घर से बाहर निकल मान कहना न होगा कोई मुब्तला बैठे बैठे न उट्ठा गया दिल के हाथों से 'तस्कीं' कहा उस ने जो सब सुना बैठे बैठे