तू एक नाम है मगर सदा-ए-ख़्वाब की तरह मैं एक हर्फ़ हूँ मगर निशान-ए-आब की तरह मुझे समझ कि मैं ही अस्ल राज़-ए-काएनात हूँ धरा हूँ तेरे सामने खुली किताब की तरह मैं कोई गीत हूँ मगर सदा की बंदिशों में हूँ मिरे लहू में राग है सम-ए-अज़ाब की तरह मिरी पनाह-गाह थी उन्ही ख़लाओं में कहीं मैं सत्ह-ए-आब पर रहा हबाब-ए-आब की तरह मैं 'असग़र'-ए-हज़ीं कभी किसी के दोस्तों में था वो दिन भी मुझ को याद हैं ख़याल-ए-ख़्वाब की तरह