तू लहू में रवाँ नहीं होता जाने क्या क्या गुमाँ नहीं होता सारे ख़त हम जला के आए हैं यादों का अब धुआँ नहीं होता उन की बेबाकियाँ सही दिल ने वर्ना दिल बे-ज़बाँ नहीं होता देखो अल्फ़ाज़ की भी बेताबी इश्क़ ऐसे अयाँ नहीं होता रह-ए-तीरा में गरचे जुगनू है तन्हा सच कारवाँ नहीं होता