तू मिरी जान गर नहीं आती ज़ीस्त होती नज़र नहीं आती दिलरुबाई ओ दिलबरी तुझ को गो कि आती है पर नहीं आती हाल-ए-दिल मिस्ल-ए-शम्अ' रौशन है गो मुझे बात कर नहीं आती हर दम आती है गरचे आह पर आह पर कोई कारगर नहीं आती क्या कहूँ आह मैं किसू के हुज़ूर नींद किस बात पर नहीं आती नहीं मा'लूम दिल पे क्या गुज़री इन दिनों कुछ ख़बर नहीं आती कीजे ना-मेहरबानी ही आ कर मेहरबानी अगर नहीं आती दिन कटा जिस तरह कटा लेकिन रात कटती नज़र नहीं आती ज़ाहिरन कुछ सिवाए मेहर-ओ-वफ़ा बात तुझ को 'असर' नहीं आती