तू मुब्तला-ए-इश्क़ है ग़म का निसाब ढूँड उन्वान जिस का हिज्र हो ऐसी किताब ढूँड औरों की रौशनी पे न रख तू बुरी नज़र अपनी ही छत के नीचे कोई आफ़्ताब ढूँड कोशिश को अपनी एक नया रंग-रूप दे दिल के उजाड़ बाग़ में ताज़ा गुलाब ढूँड ये नेक हस्तियाँ हैं यहाँ मेरा काम क्या तू मेरे वास्ते कोई जा-ए-ख़राब ढूँड या मुझ को दस्त-ए-यार से पानी का घूँट दे या जो रगों को तर करे ऐसी शराब ढूँड वो जिस पे चंद रोज़ तकब्बुर रहा तुझे 'आरिज़' कहाँ गया तिरा ज़ोर-ए-शबाब ढूँड