तू ने जो हरकत दिल-ए-नादान की हम ने उस पर ज़िंदगी क़ुर्बान की दिल पे कहता है तमन्ना छोड़ दे आक़िलाना बात है नादान की कौन सा ग़म है जो दिल में ख़ुश नहीं की तवाज़ो' उस ने हर मेहमान की ख़ुद-ब-ख़ुद आबाद हो जाएगा बन आप ने बस्ती अगर वीरान की कोई साहिल जज़्ब कर सकता नहीं ज़िंदगी इक लहर है तूफ़ान की मुस्कुरा कर बात की सद शुक्रिया ज़िंदगी दुश्वार थी आसान की