तूफ़ान में भँवर में न धारों की गोद में डूबी है मेरी नाव किनारों की गोद में क्या जाने आज क्यूँ हैं सितारे धुआँ धुआँ ये कैसी तीरगी है सितारों की गोद में बद-नाम गुल्सिताँ में ख़िज़ाँ ही तो है मगर क्या क्या न गुल खिले हैं बहारों की गोद में मौसम था ख़ुश-गवार तो मंज़र था ख़ुश-गवार अब वो कशिश कहाँ है नज़ारों की गोद में रफ़्तार पर भी क़ैद थी गुफ़्तार पर भी क़ैद गुज़री भी ज़िंदगी तो हिसारों की गोद में ऐ दोस्त दूसरों का सहारा तो मौत है ख़ूद्दार कब पले हैं सहारों की गोद में मिज़राब-ए-वक़्त छेड़े तू 'कौसर' सुनाई दे आवाज़ गुम है साज़ के तारों की गोद में