तुझ को आना पड़ा यहीं तो फिर न मिला हम सा गर हसीं तो फिर कौन तेरा ख़याल रक्खेगा बा'द मेरे हुआ हज़ीं तो फिर जिस पे तुझ को ग़ुरूर है वो दिल खो गया गर यहीं कहीं तो फिर आ नहीं सकता कोई तुझ को याद टूट जाए तिरा यक़ीं तो फिर दिल कुशादा-दिली पे नाज़ाँ है न हुआ वो अगर मकीं तो फिर सोचती हूँ कि किस लिए मैं भी जब ये तय है कि तू नहीं तो फिर