तुझ को आते ही नहीं छुपने के अंदाज़ अभी मिरे सीने में है लर्ज़ां तिरी आवाज़ अभी उस ने देखा ही नहीं दर्द का आग़ाज़ अभी इश्क़ को अपनी तमन्नाओं पे है नाज़ अभी तुझ को मंज़िल पे पहुँचने का है दावा हमदम मुझ को अंजाम नज़र आता है आग़ाज़ अभी किस क़दर गोश-बर-आवाज़ है ख़ामोशी-ए-शब कोई नाला कि है फ़रियाद का दर बाज़ अभी मिरे चेहरे की हँसी रंग-ए-शिकस्ता मेरा तेरे अश्कों में तबस्सुम का है अंदाज़ अभी