तुझ को देख रहा हूँ मैं By Ghazal << ये और बात दूर रहे मंज़िलो... मिरी गिरफ़्त में है ताएर-... >> तुझ को देख रहा हूँ मैं और भला क्या चाहूँ मैं दुनिया की मंज़िल है वो जिस को छोड़ चुका हूँ मैं तू जब सामने होता है और कहीं होता हूँ मैं और किसी को क्या पाऊँ ख़ुद खोया रहता हूँ मैं ख़त्म हुईं सारी बातें अच्छा अब चलता हूँ मैं Share on: