तुझ से मिल जाने के इम्काँ हुए कैसे कैसे ख़्वाब ही में सही सामाँ हुए कैसे कैसे लोग ये सोच के हो जाएँ न हालात ख़राब आलम-ए-ऐश में हैराँ हुए कैसे कैसे लफ़्ज़ बूढ़े हूँ तो पैग़ाम कोई क्या भेजे हम सबा से भी पशेमाँ हुए कैसे कैसे कोई जल्वा है न चेहरा न तजल्ली न किरन आइने बे-सर-ओ-सामाँ हुए कैसे कैसे दिल के अरमानों का क्या हाल कहें तुम से मियाँ बाग़ इस मुल्क के वीराँ हुए कैसे कैसे कैसी काफ़ूर-पसंदी है जहाँ में ऐ 'नूर' लोग जब मर गए ज़ी-शाँ हुए कैसे कैसे