तुझे देखने को तरसती हैं आँखें न देखें तुझे तो बरसती हैं आँखें हसीनों की महफ़िल में बैठे हो तुम भी न जाने कहाँ अब ठहरती हैं आँखें ये आँसू नहीं ये वफ़ा के हैं मोती इन्हीं से हमारी निखरती हैं आँखें करेगी ज़बाँ दिल की क्या तर्जुमानी सभी दिल की बातें तो करती हैं आँखें इन आँखों को क्या हुस्न बख़्शेगा काजल तुझे देख कर ये सँवरती हैं आँखें झलक जब से 'साग़र' ने देखी है तेरी उसी दिन से तुझ पे ये मरती हैं आँखें