तुझे ख़बर है तुझे याद क्यूँ नहीं करते ख़ुदा पे नाज़ ख़ुदा-ज़ाद क्यूँ नहीं करते अजब कि सब्र की मीआद बढ़ती जाती है ये कौन लोग हैं फ़रियाद क्यूँ नहीं करते रगों में ख़ून के मानिंद है सुकूत का ज़हर कोई मुकालिमा ईजाद क्यूँ नहीं करते मिरे सुख़न से ख़फ़ा हैं तो एक रोज़ मुझे किसी तिलिस्म से बर्बाद क्यूँ नहीं करते ये हादसा है कि शोले में जान है मेरी मुझे चराग़ से आज़ाद क्यूँ नहीं करते