तुम हो शायर मिरी जान जीते रहो शेर कहते रहो ज़हर पीते रहो सीना-ए-चाक ही मिशअल-ए-नूर है सीना-चाको इसी तरह जीते रहो रात जागी हुई है हवा मेहरबाँ फिर ये लम्हे कहाँ, आज पीते रहो रोक लो दिल पे सैल-ए-गिरान-ए-अलम दोस्तो ज़िंदगी के चहीते रहो इतनी फ़ुर्सत किसे है कि देखे तुम्हें चाक कर लो गिरेबाँ कि सीते रहो