तुम जो शामिल हुए ख़यालों में रौशनी आ गई हवालों में अब तो ऐ चाँद बाम पर आ जा चाँदनी आ गई है बालों में उस ने नज़रें ही फेर ली मुझ से कुछ नहीं रह गया सवालों में एक लम्हे की तो ज़रूरत थी और वो लम्हा न आया सालों में तेरी आँखों पे बात होने लगी जंग सी छिड़ गई ग़ज़ालों में क़त्ल इंसानियत का करते हैं भेड़िये आदमी की खालों में ये 'मुक़द्दस' हक़ीक़ी दुनिया है आप रहती हैं किन ख़यालों में