तुम को देखा है अभी तक ये गुमाँ होता है नक़्श जो दिल में है आँखों से निहाँ होता है शौक़ का आलम-ए-ए'जाज़ अयाँ होता है खिंच के आता है यहाँ हुस्न जहाँ होता है क़िस्सा-ए-दर्द ख़मोशी से अयाँ होता है तौर-ए-इज़हार नज़र तर्ज़-ए-बयाँ होता है रात ख़ामोश है ऐसे में सितारो सुन लो दिल-ए-मुज़्तर मिरा माइल-ब-फ़ुग़ाँ होता है मेरी नाकाम मोहब्बत ने बड़ा काम किया मुद्दआ' आलम-ए-हसरत में जवाँ होता है ख़िरमन-ए-ज़ीस्त में शो'ले न भड़क उठे हों दामन-ए-दिल के क़रीब आज धुआँ होता है ज़िक्र ख़ुद छेड़ के रोया किया पहरों 'अख़्तर' नाम आते ही तिरा अश्क रवाँ होता है