तुम क्या साहब और तुम्हारी बात है क्या धरती की आकाश तले औक़ात है क्या सिर्फ़ जुनूँ है उस के सिवा ये कुछ भी नहीं प्यार न देखे नस्ल है कैसी ज़ात है क्या पूछ रही हैं रूठ के जाती ख़ुशियाँ भी जीत से पहले जीवन पथ पर मात है क्या हम क्या जानें हम ने अँधेरा ओढ़ लिया इस की अदा क्या ख़्वाहिश क्या जज़्बात है क्या बख़्त का तारा शाम से पहले डूब गया रात गए अब तारों की बारात है क्या तेरे सारे ख़्वाब ही 'ज़ाकिर' भीग चुके दिल की ज़मीं पर अश्कों की बरसात है क्या