तुम मिल गए तो कोई गिला अब नहीं रहा मैं अपनी ज़िंदगी से ख़फ़ा अब नहीं रहा पहले मिरी निगाह में दुनिया हक़ीर थी मैं अपने साथियों से जुदा अब नहीं रहा अब भी उसी दरख़्त के नीचे मिलेंगे हम साया अगरचे उस का घना अब नहीं रहा तेरे क़दम ने जान कहानी में डाल दी क़िस्सा हमारा बे-सर-ओ-पा अब नहीं रहा अब मेरी अपने आख़िरी दुश्मन से जंग है मैदाँ में कोई मेरे सिवा अब नहीं रहा हम को उसी दयार की मिट्टी हुई अज़ीज़ नक़्शे में जिस का नाम-पता अब नहीं रहा