तुम नहीं पास कोई पास नहीं अब मुझे ज़िंदगी की आस नहीं कश्मकश में न रूह पड़ जाए यूँ तो मरने का कुछ हिरास नहीं लाला-ओ-गुल बुझा सकें जिस को इश्क़ की प्यास ऐसी प्यास नहीं उम्र सी उम्र हो गई बर्बाद दिल-ए-नादाँ अबस उदास नहीं साँस लेने में दर्द होता है अब हवा ज़िंदगी की रास नहीं राह में अपनी ख़ाक होने दे और कुछ मेरी इल्तिमास नहीं क्या बताऊँ मआल-ए-शौक़ 'जिगर' आह क़ाएम मिरे हवास नहीं