तुम ने जो मंफ़अत से ख़सारा बदल दिया हम ने मुफ़ाहमत का इरादा बदल दिया ऐ बेवफ़ा हयात तिरी गर्दिशों की ख़ैर तू ने भी कैसा वक़्त सुनहरा बदल दिया कोई तो वारदात हुई है जी उस के साथ कुछ तो है जिस ने ये दिल-ए-सादा बदल दिया गो जीतना हमारी बक़ा का सवाल था लेकिन बिसात-ए-वक़्त ने मोहरा बदल दिया पहले तो ज़ीस्त करने की हिम्मत थी आहनी कम-माएगी थी जिस ने इरादा बदल दिया मफ़्हूम जान लेने से क़ासिर नहीं हैं हम तो क्या हुआ कि आप ने फ़िक़रा बदल दिया ये रौशनी का आदी रहा है तमाम उम्र तारीकियों ने शहर का नक़्शा बदल दिया अपनी तरह के एक ही हैं आप भी जनाब जब हम बदल गए तो इरादा बदल दिया ये इश्क़ ही का वस्फ़ रहा है कि 'साइमा' दिल पे चढ़ा था रंग जो गहरा बदल दिया