तुम सा दिलकश कोई देखा ही नहीं आइना झूट बोलता ही नहीं सुन के तारीफ़ अपनी शरमाए जैसे ख़ुद से वो आश्ना ही नहीं जान ले कर वो कह उठे मुझ से इस में मेरी कोई ख़ता ही नहीं चारागर को ख़बर नहीं शायद दर्द-ए-दिल की कुछ दवा ही नहीं हम ने इस दिल को लाख समझाया ज़ोर दिल पर मगर चला ही नहीं ये मिरा दिल तो हो चुका तेरा मेरे बस में वो अब रहा ही नहीं मेरी हस्ती को आस है तुझ से बिन तेरे कोई आसरा ही नहीं दर्द फ़ुर्क़त फ़ुग़ाँ ख़लिश नफ़रत ये असासा मुझे मिला ही नहीं