तुमन रौशनी बिन हमन रौशनी नाह तू दीदार बिन सभी दीदार हैं काह सभी झाड़ कूँ पत-झड़ी बाव आया चकर खाँस पर है नज़र तू दिसूँ शाह तुमन ख़्याल सेती हमें ख़्याल बाँधे रक़ीबाँ न बूझें ये बात आह है आह नमाज़ाँ करूँ रात दिन मलने क्याँ मैं हवा मुंज कूँ रोज़ी ज़ुलहमदुल्लिाह अंधारे के बादल मुंजे बेड़ी चौ-पहर ख़ुदाया तू भेजें हमन बाद-ए-दिल-ख़्वाह कता सब्र फ़रियाद कर चुप न रह तूँ करूँ आह आहाँ तूँ नीं होता आगाह हुआ बे-क़रार आह आहाँ ते मैं अब नज़र बा-मुंज उपर दसूँगा कि जियूँ माह करेगा अगर याद वो मुंज दुखी कूँ करूँ याद अगर किस कूँ असतग़फ़िरुल्लाह 'मअानी' है आजिज़ तिरी ख़िदमताँ में नहीं सुद-बुद उस कूँ तूँ कर सब थे आगाह