तुम्हारे ख़्वाब मिरे साथ साथ चलते हैं कई सराब मिरे साथ साथ चलते हैं तुम्हारा ग़म ग़म-ए-दुनिया उलूम-ए-आगाही सभी अज़ाब मिरे साथ साथ चलते हैं इसी लिए तो मैं उर्यानियों से हूँ महफ़ूज़ बहुत हिजाब मिरे साथ साथ चलते हैं न जाने कौन हैं ये लोग जो कि सदियों से पस-ए-नक़ाब मिरे साथ साथ चलते हैं मैं बे-ख़याल कभी धूप में निकल आऊँ तो कुछ सहाब मिरे साथ साथ चलते हैं