तुम्हारे मसअले क्या हैं ज़रा हम पर अयाँ करते कहीं से तुम बयाँ करते कहीं से हम बयाँ करते चलो तुम ने कही जो बात वो हम मान लेते हैं मगर हम अपनी बातें किस तरह तुम पर अयाँ करते कभी तो झाँक कर देखो ज़रा अपने गरेबाँ में हमारी सम्त उस के बाद तुम नोक-ए-सिनाँ करते उलझ पड़ते हो तुम अपने बुज़ुर्गों से अरे तौबा ज़रा भी शर्म आनी चाहिए लम्बी ज़बाँ करते बड़ा एहसान है बेगम सुधारा आप ने मुझ को वगर्ना ज़िंदगी कटती मिरी ख़र-मस्तियाँ करते वो कितनी झिड़कियाँ खाते हैं सुब्ह-ओ-शाम बीवी की मगर वाइज़ को देखा आप ने आह-ओ-फ़ुग़ाँ करते तुम्हारे क़रिया-ए-जाँ में हमारी बादशाहत है मगर देखा किसी ने हम को सैर-ए-गुलसिताँ करते