![](https://pagalshayari.com/images/ghazal/tumhara-hijr-mana-lu-agar-ijazat-ho-jaun-eliya-ghazal-hindi.jpg)
तुम्हारा हिज्र मना लूँ अगर इजाज़त हो मैं दिल किसी से लगा लूँ अगर इजाज़त हो तुम्हारे बा'द भला क्या हैं वअदा-ओ-पैमाँ बस अपना वक़्त गँवा लूँ अगर इजाज़त हो तुम्हारे हिज्र की शब-हा-ए-कार में जानाँ कोई चराग़ जला लूँ अगर इजाज़त हो जुनूँ वही है वही मैं मगर है शहर नया यहाँ भी शोर मचा लूँ अगर इजाज़त हो किसे है ख़्वाहिश-ए-मरहम-गरी मगर फिर भी मैं अपने ज़ख़्म दिखा लूँ अगर इजाज़त हो तुम्हारी याद में जीने की आरज़ू है अभी कुछ अपना हाल सँभालूँ अगर इजाज़त हो
This is a great हिज्र पर शायरी.