तुम्हारा ज़ौक़ ही कामिल नहीं है वगर्ना कोई शय मुश्किल नहीं है शरार-ए-ग़म का जो हामिल नहीं है वो दिल सब कुछ तो है पर दिल नहीं है जहान-ए-रंग-ओ-बू पर मिटने वालो ये दुनिया मौज है साहिल नहीं है बढ़े जिन के क़दम राह-ए-जुनूँ में फिर उन की कोई भी मंज़िल नहीं है नशात-अंगेज़ नग़्मे क्या सुनाएँ तबीअ'त इस तरफ़ माइल नहीं है