तुम्हारे इश्क़ पे दिल को जो मान था न रहा सितारा एक सर-ए-आसमान था न रहा वो और थे कि जो ना-ख़ुश थे दो जहाँ ले कर हमारे पास तो बस इक जहान था न रहा तू अपनी फ़त्ह का ऐलान कर मैं हार गई वो हौसला कि मुझे जिस पे मान था न रहा वही कहानी है किरदार भी वही हैं मगर जो एक नाम सर-ए-दास्तान था न रहा सदाएँ दोगे पलट कर कभी तो देखोगे हमारे दिल में ये मुबहम गुमान था न रहा