तुम्हें दिल-लगी भूल जानी पड़ेगी मोहब्बत की राहों में आ कर तो देखो तड़पने पे मेरे न फिर तुम हँसोगे कभी दिल किसी से लगा कर तो देखो वफ़ाओं की हम से तवक़्क़ो नहीं है मगर एक बार आज़मा कर तो देखो ज़माने को अपना बना कर तो देखा हमें भी तुम अपना बना कर तो देखो ख़ुदा के लिए छोड़ दो अब ये पर्दा कि हैं आज हम तुम नहीं ग़ैर कोई शब-ए-वस्ल भी है हिजाब इस क़दर क्यों ज़रा रुख़ से आँचल उठा कर तो देखो जफ़ाएँ बहुत कीं बहुत ज़ुल्म ढाए कभी इक निगाह-ए-करम इस तरफ़ भी हमेशा हुए देख कर मुझ को बरहम किसी दिन ज़रा मुस्कुरा कर तो देखो जो उल्फ़त में हर इक सितम है गवारा ये सब कुछ है पास-ए-वफ़ा तुम से वर्ना सताते हो दिन-रात जिस तरह मुझ को किसी ग़ैर को यूँ सता कर तो देखो अगरचे किसी बात पर वो ख़फ़ा हैं तो अच्छा यही है तुम अपनी सी कर लो वो मानें न मानें ये मर्ज़ी है उन की मगर उन को 'पुरनम' मना कर तो देखो