टूटा है पुराना सादा पुल लफ़्ज़ों का अब रिश्ता है दुनिया से फ़क़त आँखों का वो भूल गए हैं तो अजब क्या इस में था खेल ये तो गुज़रे हुए लम्हों का इक लम्हे में सब ख़त्म है माज़ी हो कि हाल यादों का ख़ज़ाना था बहुत बरसों का सब लोग हमें एक नज़र आते हैं अंदाज़ा नहीं होता है अब चेहरों का 'मामून' हैं बातें हवा का झोंका हम को तो भरोसा ही नहीं बातों का