उदासी ने समाँ बाँधा हुआ है By Ghazal << भर नज़र देखेंगे हम उस को ... फिर रुक नहीं सका हूँ किसी... >> उदासी ने समाँ बाँधा हुआ है ख़ुशी के साथ फिर धोका हुआ है मुझे अपनी ज़रूरत पड़ गई है मिरे अंदर से अब वो जा चुका है कहानी से अजब वहशत हुई है मिरा किरदार जब पुख़्ता हुआ है मैं हर दर पर सदाएँ दे रहा हूँ कोई आवाज़ दे कर छुप गया है Share on: