उड़ते पंछी मार गिराने होते हैं ज़ालिम ने तो ज़ुल्म कमाने होते हैं इक छत के नीचे रहने वालों में भी हाइल कितने यार ज़माने होते हैं तुम फूलों के ब्योपारी हो क्या जानो फूलों ने आँगन महकाने होते हैं उन के नाम लिए जाता हूँ सुब्ह-ओ-शाम मैं ने जिन के नाम भुलाने होते हैं देख के जिन को डर जाए वीराना भी आबादी में वो वीराने होते हैं भूक इफ़्लास के बोझ तले जो दब जाए उस ने किस के नाज़ उठाने होते हैं मैं ने तेरा नाम सुना मख़्मूर हुआ मैं क्या जानूँ क्या मयख़ाने होते हैं जिन को अपना नाम नहीं है याद 'ख़िज़र' उन को मेरे याद फ़साने होते हैं