उजड़ी हुई आँखों में सितारे नहीं मिलते दरिया-ए-मोहब्बत के किनारे नहीं मिलते इस दौर में अतफ़ाल को बहलाने की ख़ातिर बारूद तो मिलता है ग़ुबारे नहीं मिलते मतलब हो तो हर मोड़ पे मिल जाते हैं हमदर्द मुश्किल में कभी यार पियारे नहीं मिलते बैठे हैं कोई क़ासिद-ए-यार आए इधर भी मुद्दत हुई मक्तूब तुम्हारे नहीं मिलते बहता है लहू शहर की हर एक गली में आँखों को गुलिस्ताँ के नज़ारे नहीं मिलते इक दर्द का मारा मिरे अंदर ही छुपा है और उस को कहीं दर्द के मारे नहीं मिलते