उलझे रस्तों पे जा नहीं सकती By Ghazal << जड़ों से सूखता तन्हा शजर ... बख़्शी है कैफ़-ए-इश्क़ ने... >> उलझे रस्तों पे जा नहीं सकती तेरी बातों में आ नहीं सकती आँख से दिल दिखाई देता है कोई धोका मैं खा नहीं सकती Share on: