उन का जाना तो इक बहाना था मौत को यूँ भी जल्द आना था बे-ख़ुदी में उसे बता बैठे राज़ जो ख़ुद से भी छुपाना था क्यों न आते ख़ुशी ख़ुशी ताइर दाम में मुफ़्त आब-ओ-दाना था दिल तुझे क्यों सुकूँ नहीं पड़ता क्या अभी और कुछ लुटाना था सख़्त इक मरहला थी याद तिरी और उस पर तुझे भुलाना था तल्ख़ हर बात सच नहीं होती उन का मक़्सद तो दिल दुखाना था और भी ख़्वाहिशें थीं दुनिया में दिल कहीं और लग ही जाना था