उन के गेसू सँवरते जाते हैं हादसे हैं गुज़रते जाते हैं वक़्त सुनता है जिन की आवाज़ें हाए वो लोग मरते जाते हैं डूबने वाले मौज-ए-तूफ़ाँ से जाने क्या बात करते जाते हैं यूँ गुज़रते हैं हिज्र के लम्हे जैसे वो बात करते जाते हैं होश में आ रहे हैं दीवाने किस के जल्वे बिखरते जाते हैं क्या ख़बर आज किस की यादों के 'नक़्श' दिल पर उभरते जाते हैं