उन के रुख़ पर निखार का आलम गुलिस्ताँ पर बहार का आलम मस्त आँखों में शबनमी आँसू गौहर-ए-आबदार का आलम उन के आने पे उन के जाने पर दिल-ए-बे-इख़्तियार का आलम रक़्स करते हैं कितने पैमाने उस नज़र में ख़ुमार का आलम वा-ए-हसरत कि तेरे होते भी तेरे ही इंतिज़ार का आलम रूठ जाना तिरा लगावट से बे-रुख़ी में भी प्यार का आलम बर्क़ उट्ठी बलाएँ लेने को है क़फ़स पर बहार का आलम अर्ज़-ए-मतलब पे मेरे ऐ 'नय्यर' निगह-ए-शर्म-सार का आलम