उन को देखा जो इक नज़र हम ने दिल सँभाला कभी जिगर हम ने इक इशारे में ले उड़े दिल को तुम सा देखा न फ़ित्ना-गर हम ने रात भर उन का इंतिज़ार किया तारे गिन गिन के की सहर हम ने अपनी तक़दीर में कहाँ राहत कभी देखी न उम्र भर हम ने उन की फ़ुर्क़त में अपने दामन को आँसूओं से किया है तर हम ने जान से अपनी हाथ धो बैठे पाया उल्फ़त का ये समर हम ने उन की तस्वीर ही से ऐ 'पैकाँ' दिल को बहलाया रात भर हम ने