उन्नाब-ए-लब का अपने मज़ा कुछ न पूछिए किस दर्द के हैं आप दवा कुछ न पूछिए नाज़-ओ-नियाज़-ए-आशिक़-ओ-माशूक़ क्या कहूँ इज्ज़ ओ ग़ुरूर शाह ओ गदा कुछ न पूछिए ख़ुशबू से हो रहा है मोअत्तर दिमाग़ जान चलती है किस तरफ़ की हवा कुछ न पूछिए क्या क्या निगह फिसलती है रुख़्सार-ए-यार पर कैसा ये आइना है सफ़ा कुछ न पूछिए जामा से बाहर अपने जो हूँ मैं अजब नहीं खोले हैं किस के बंद-ए-क़बा कुछ न पूछिए आईना ले के कीजिए इतना मुशाहिदा हम से सुलूक-ए-शर्म-ओ-हया कुछ न पूछिए अल्लाह ने किया है किसे बादशाह-ए-हुस्न सर पर है किस के ज़िल्ल-ए-हुमा कुछ न पूछिए रंगीं किए हैं यार ने जैसे कि दस्त-ओ-पा क्या रंग ला रही है हिना कुछ न पूछिए ना-गुफ़्तनी है इश्क़-ए-बुताँ का मुआमला हर हाल में है शुक्र-ए-ख़ुदा कुछ न पूछिए क्या शय है वो कमर जो गुज़रता है ये ख़याल आती है ग़ैब से ये सदा कुछ न पूछिए कोताह ख़ाल-ए-रू-ए-मुनव्वर है किस क़दर कितनी है ज़ुल्फ़-ए-यार रसा कुछ न पूछिए 'आतिश' गुनाह-ए-इश्क़ की ताज़ीर क्या कहूँ मुशफ़िक़ जो कुछ है उस की सज़ा कुछ न पूछिए