उन्स अपने में कहीं पाया न बेगाने में था क्या नशा है सारा आलम एक पैमाने में था आह इतनी काविशें ये शोर-ओ-शर ये इज़्तिराब एक चुटकी ख़ाक की दो पर ये परवाने में था आप ही उस ने अनल-हक़ कह दिया इल्ज़ाम क्या होश किस ने ले लिया था होश दीवाने में था अल्लाह अल्लाह ख़ाक में मिलते ही ये पा-ए-समर लो ख़ुदा की शान फल भी फूल भी दाने में था शैख़ को जो पारसा कहता है उस को क्या कहूँ मैं ने अपनी आँख से देखा वो मय-ख़ाने में था 'शाइर'-ए-नाज़ुक-तबीअत हूँ मिरा दिल कट गया साक़िया लेना कि शायद बाल पैमाने में था