उरूज मेरा है जो कि दुनिया समझ रही है ज़वाल मेरा खटक रहा है निगाह-ए-हासिद में ख़ार बन कर कमाल मेरा कटें तो क्यों कर कटें भला ना-मुराद दिन ज़िंदगी के आख़िर न कुछ ख़बर मुझ को आप अपनी न आप को कुछ ख़याल मेरा कहीं न आँसू बहाए शबनम कहीं न कलियाँ हों चाक दामन तुझे क़सम रौनक़-ए-चमन की सबा न कह उन से हाल मेरा मैं परतव-ए-नूर-ए-लम-यज़ल हूँ फ़ना-नवाज़-ए-अज़ल का डर क्या कमाल-ए-साने' का नुक़्स होगा अगर हुआ भी ज़वाल मेरा गुनाहगारों की अव्वलीं सफ़ से चश्म-ए-रहमत ने मुझ को छाँटा हज़ार सज्दों से बढ़ के काम आया जज़्बा-ए-इंफ़िआल मेरा किसे ख़बर है कि हो अदा फ़र्ज़-ए-बंदगी फिर भी मुझ से 'क़ैसर' ज़बान-ए-शुक्र-ओ-सिपास भी बन गया अगर बाल बाल मेरा