उस बुत-ए-बे-मिसाल का पहलू है ख़ुदा से विसाल का पहलू माह को तीस दिन की गर्दिश में एक शब है कमाल का पहलू दिल दिया उस को इक निगाह के साथ न मिला देख भाल का पहलू मुफ़्त की मय मिलेगी ऐ क़ाज़ी ढूँढ उस के हलाल का पहलू ग़ैर के घर न जा सके वो रात न मिला उन को चाल का पहलू होजिए ग़ैर से न गर्म-ए-सुख़न इस में हैं इश्तिआ'ल का पहलू तू जगह पाए उस के पहलू में है 'असर' ये मुहाल का पहलू