उस की ख़ुश्बू की चाप सुनते ही फूल खिलने लगे थे बेले में उस ने वा'दा किया है मिलने का मुझ से आइंदगाँ के मेले में आओ ढूँडें कहाँ गया सूरज शाम के सुरमई झमेले में उस से कहना कि लौट आए वो बात करना मगर अकेले में उस के छूते ही होश की नाव बह गई ख़ुशबुओं के रेले में