उस की तस्वीर क्या लगी हुई है पूरे कमरे में रौशनी हुई है कुछ भी तरतीब में नहीं था यहाँ उस के आने से बेहतरी हुई है दिल किसी और जा अड़ा हुआ है रूह किसी और में फँसी हुई है कैसे कह दूँ मैं हाल-ए-दिल उस से वो मिरे सामने बड़ी हुई है जीत जाती है मुझ से बातों में बड़े स्कूल की पढ़ी हुई है दोस्त तो वो बहुत पुरानी थी हाँ मोहब्बत नई नई हुई है उस के रोने से मौसमों में नमी उस के हँसने से धूप सी हुई है मेरे शे'रों में और कुछ न सही उस की ख़ुश्बू रची-बसी हुई है अब तो हालात काफ़ी बेहतर हैं वर्ना पहले तो शाइ'री हुई है आप मत ढूँढिएगा कुछ इस में ये ग़ज़ल उस के नाम की हुई है