उस की वफ़ा न मेरी वफ़ा का सवाल था दोनों ही चुप थे सिर्फ़ अना का सवाल था इस कश्मकश में ख़त्म हुआ रात का सफ़र ज़िद थी मिरी तो उस की हया का सवाल था सब मुंतज़िर थे आसमाँ देता है क्या जवाब प्यासे लबों पे काली घटा का सवाल था मजबूर हम थे और वो मुख़्तार था मगर दोनों के बीच दस्त दुआ का सवाल था जाना था मय-कदे से हमें कू-ए-यार तक लेकिन हमारी लग़्ज़िश-ए-पा का सवाल था तक़्सीम करने निकला था वो रौशनी मगर जलते हुए दिए को हवा का सवाल था 'दाना' मुझे अज़ल से ग़ज़ल की तलाश थी ये मेरी ज़िंदगी की अदा का सवाल था