उस ने आख़िर दिया जलाना है शाम को मैं ने डूब जाना है फिर सिरा कोई हाथ आएगा बस कड़ी से कड़ी मिलाना है मेरी परवाज़ में ये हाइल है राह से आसमाँ हटाना है दिल की बातें तमाम कह दूँगा बस तुम्हें हौसला बढ़ाना है वो जो औरों पे मुस्कुराता था अब उसे ख़ुद पे मुस्कुराना है दिन के बिखरे हुए उजाले को सुरमई शाम ने चुराना है