उस से ख़्वाबों में सामना होगा हिज्र का लुत्फ़ दो-गुना होगा कुछ उजाले भी साथ रख लेना दश्त-ए-दुनिया बहुत घना होगा उस को कुछ देर देखने के लिए पहले हर ओर देखना होगा वो भी दुनिया के तौर सीख गया या'नी अब उस को छोड़ना होगा उस ने पूछी है मेरी ख़ैर-ओ-ख़बर अब मुझे झूट बोलना होगा