उसी के दम पे तो ये दोस्ती बची हुई थी हमारे बीच में जो हम-सरी बची हुई थी हमारे बीच में इक पुख़्तगी बची हुई थी बची हुई थी मगर आरज़ी बची हुई थी उसी के नूर से ये रौशनी बची हुई थी मिरे नसीब में जो तीरगी बची हुई थी उसी के दम पे मनाया था उस ने जश्न मिरा कि दुश्मनी में भी जो दोस्ती बची हुई थी कमाल ये था कि हम बहस हार बैठे थे हमारे लहजे की शाइस्तगी बची हुई थी अगरचे ख़त्म थे रिश्ते पड़ोसियों वाले हमारे बीच में हमसायगी बची ही थी बदल चुका था वो अपना मिज़ाज मेरे लिए मगर दिखावे को इक बे-रुख़ी बची हुई थी उसी के नूर से पुर-नूर था ये सारा जहाँ हमारी आँख में जो रौशनी बची हुई थी अब इस मक़ाम पे पहुँचा दिया था हम ने इश्क़ जुनून ख़त्म था दीवानगी बची हुई थी उसी ने जोड़ के रक्खा हुआ था रिश्ते को हमारे बीच में जो बरहमी बची हुई थी इस एक बात की शर्मिंदगी ने मार दिया मिरे वजूद तिरी तिश्नगी बची हुई थी उबूर कर लिया सहरा तो फिर से लौट आए जुनून बाक़ी था आशुफ़्तगी बची हुई थी मैं गाहे-गाहे उसे याद कर ही लेता था इसी बहाने मिरी ज़िंदगी बची हुई थी उसी के दम पे पढ़े भी गए सुने भी गए हमारे लहजे में जो चाशनी बची हुई थी ज़माने तेरी हुनर-कोश रज़्म के हाथों मैं लुट चुका था मगर शाएरी बची हुई थी वो कौन राज़ था जिस को बयान कर न सके वो कौन बात थी जो 'जाफ़री' बची हुई थी