उस की आमद के लिए ख़ुद को तरसता देखना हाए हसरत से तिरा पर्दे को हिलता देखना रोज़ तेरी खोज में फिरना मिरा यूँ दर-ब-दर रोज़ अपने साए को बाहर भटकता देखना है बदल जाता ये लहजा रोज़ मेरी आँख का आँख का दरिया वो चढ़ता और उतरता देखना ढह न जाए घर तिरा जानाँ ज़रा रखना ख़याल मेरी आँखों से मिरा सावन बरसता देखना 'गुल' का तो ये दिल कहाँ रह पाएगा अब तेरे बिन दिल मिरा ख़ुद के लिए फिर से मचलता देखना